दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों को 42 साल बाद आखिरकार इंसाफ की नई किरण दिखाई दे रही है. दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने सोमवार को 19 पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति पत्र सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि उन पीड़ितों के साथ न्याय है जो बेगुनाह होते हुए भी मारे गए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 1984 में भयावह दंगा हुआ था, तब कांग्रेस सरकार ने इन पीड़ित परिवारों की सुध नहीं ली. एक-एक परिवार के कई लोगों को बेरहमी से मारा गया लेकिन इन परिवारों को न तो न्याय मिल पाया और न ही कोई मुआवजा दिया गया. अब हमारी सरकार 125 सिख दंगा पीड़ितों को नौकरी दे रही है, जिनमें से 19 की जॉइनिंग भी हो चुकी है.

AAP सरकार ने नहीं दी नौकरी

इस मौके पर दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी सरकार की इस पहल को ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जो 1984 के दंगों में बच गए थे. अदालत के आदेश के बावजूद पिछली AAP सरकार ने इन्हें नौकरी नहीं दी. आज भाजपा सरकार के तहत 125 लोगों को नौकरी मिली है. यह दंगा पीड़ित परिवारों के साथ असली न्याय है. सिरसा ने कांग्रेस सरकारों पर भी निशाना साधा और कहा कि 1984 के दंगों के असली दोषियों को बचाया गया और पीड़ितों को नजरअंदाज किया गया. अब भाजपा सरकार उन्हें उनका हक दिला रही है.

पीड़ित कश्मीरी पंडितों को सुविधाएं

सीएम ने कहा कि दिल्ली सरकार केवल सिख दंगा पीड़ितों के लिए ही नहीं, बल्कि पीड़ित कश्मीरी पंडितों और कोरोना काल में जान गंवाने वालों के परिवारों की मदद के लिए भी आगे आ रही है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इन सभी को सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी. सीएम ने कहा कि उनकी सरकार इमरजेंसी में लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल गए सेनानियों को भी पेंशन देगी. इससे उन लोगों को सम्मान मिलेगा जिन्होंने देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने के लिए संघर्ष किया है.